June 12, 2025

रूपकुंड झील(Roopkund Lake) रहस्य: भारत का कंकाल झील

रहस्यमय रूपकुंड झील और कंकालों का रहस्य(The Enigmatic Roopkund Lake and the Mystery of Skeletons)

आपने आजतक कई सारी झीलों के बारे में सुना होगा जो किसी न किसी चीज़ के लिए प्रसिद्ध होंगी, लेकिन आज हम ऐसी झील के बारे में जानेंगे जिसे कंकाल झील कहा जाता है। जी हां, एक ऐसी झील जहाँ कंकाल मिलते हैं। इस झील की कई बातें और रहस्य हैं जो अब तक समझ में नहीं आई हैं। और इस झील का नाम रूपकुंड झील(Roopkund Lake)है।

यह झील हिमालय में स्थित है और त्रिशूल पर्वत माला से घिरी हुई है। यह समुद्रतल/भूमि स्तर से लगभग 16,470 फीट ऊपर स्थित है। इस झील की कोई न कोई कहानी है, जिसके कारण इसके साफ-सुथरे पानी में कई सारे इंसानों के कंकाल पाए जाते हैं। कई वैज्ञानिक और इतिहासकार इस विषय पर काफी समय से रिसर्च कर रहे हैं। लेकिन इस दृश्य के पीछे क्या रहस्य है? इस ब्लॉग में हम रूपकुंड के रहस्यों, विज्ञान और सांस्कृतिक आकर्षण के बारे में बात करेंगे, और इसके अनेक कहानियों को उजागर करेंगे।

Roopkund lake
Roopkund lake

क्यों रूपकुंड झील लोगों को आकर्षित करती है. ?(Why does Roopkund Lake attract people)

ट्रेकिंग के शौक़ीनों के लिए, रूपकुंड एक सपनों जैसा है, भले ही यह दूर है और यहाँ जाने में थोड़ी मुश्किल आ सकती है, पर झील तक जाते हुए कई तरह की अच्छी जगहों का आप अनुभव करेंगे, जैसे बर्फ़ से ढकी हुई चोटियाँ, जैसे त्रिशूल और नंदा घुंटी, और खूबसूरत घास के मैदान, जैसे बेदनी बुग्याल के शानदार दृश्य और बहुत कुछ।

इस झील की कई कहानियों के बावजूद लोग यहाँ जाना पसंद करते हैं और वहाँ ऐसा क्या है, यह जानने की कोशिश करते हैं। लेकिन एक ऐसी जगह जहाँ कंकाल मिल रहे हैं, ऐसी जगह पर जाते वक्त न जाने कई सवाल हमारे दिमाग में आएंगे, जिनका कोई उत्तर नहीं होगा।

रूपकुंड ट्रैकिंग का आकर्षण और चुनौतियाँ(The Allure and Challenges of Roopkund Trekking)

रूपकुंड का स्थान, जो त्रिशूल और नंदा घुंटी की ऊँची चोटियों से घिरा हुआ है, इसे ट्रैकर्स के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनाता है जो एक अविस्मरणीय साहसिक यात्रा की तलाश में होते हैं। पास में स्थित बेदनी बुग्याल घास का मैदान सिर्फ हाइकर्स के लिए विश्राम स्थल नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल भी है, जहाँ नंदा देवी राज जात महोत्सव जैसे कार्यक्रम होते हैं।

हालांकि, ट्रैकर्स को अत्यधिक मुश्किल इलाके, अप्रत्याशित मौसम और कुछ अप्रत्याशित घटनाओं के लिए तैयार रहना होगा। फिर भी, कई लोगों के लिए रूपकुंड की यात्रा सिर्फ झील तक पहुंचने के बारे में नहीं, बल्कि इसके रहस्य को जानने के बारे में भी है।

समय के साथ रूपकुंड झील में क्या बदलाव आया?(What Changed Roopkund Lake Over Time)


रूपकुंड झील का आकार साल भर में बदलता रहता है। सामान्यतः इसका व्यास केवल 40 मीटर होता है। मौसमी बर्फ़ और मौसम की स्थितियाँ इसके आकार को बदल देती है। ट्रैकर्स और शोधकर्ताओं के लिए, रूपकुंड जाने का सबसे अच्छा समय शरद ऋतु (सितंबर से अक्टूबर) के बीच होता है, जब झील अपने प्रकुर्तिक रूप में होती है और आसपास का वातावरण उस समय अच्छा और पसंद आने जैसा है।

रूपकुंड झील में पाए गए कंकाल(The Skeletons of Roopkund Lake)

जब इस झील के रहस्यों का पता लगाया जा रहा था, तो कई वैज्ञानिकों का यह मानना था कि यह कोई घातक घटना हो सकती है, जिसमें कई लोगों की मृत्यु हुई होगी, जिसके कारण उनके कंकाल आज भी वहाँ मौजूद हैं। लेकिन जैसे-जैसे बात आगे बढ़ी, उन्हें तीन समूह मिले, यानी तीन अलग-अलग तरह के कंकाल, जिनमें कुछ कंकाल 800 ईस्वी के हैं और कुछ 1800 ईस्वी के हैं, जिसने इस शोध को और भी दिलचस्प बना दिया।

और जब इन कंकालों का अच्छे से अध्ययन किया गया, तो यह पता चला कि इनमें से ज्यादातर लोगों के सिर में गहरी चोटें हैं, जिसका मतलब यह है कि यह चोटें बर्फ़ के गोले की बारिश के कारण पड़ी थीं और कुछ कंकालों पर मांस भी पाया गया है । लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या वहाँ कोई हादसा हुआ था या कुछ ऐसा जो अब तक सामने नहीं आया? इतने लोगों की अचानक मौत शायद अब तक सुलझा हुआ सच नहीं है।

झील में कंकालों के साथ ही कई दूसरी चीजें भी मिली हैं, जैसे लोहे का भाला, लकड़ी की वस्तुएँ और पुराने जमाने की वस्तुएं शामिल थीं।

लोककथा और तथ्य(Folklore Meets Fact)

कनौज के राजा की कथा :

एक स्थानीय कहानी जो पीढ़ियों से चली आ रही है, बताती है कि कनौज के राजा यशोधवल अपनी पत्नी, सेवकों, और एक नृत्य मंडली के साथ नंदा देवी मंदिर की यात्रा पर गए थे। और कथा के अनुसार यात्रा के दौरान इस समूह ने देवी नंदा का अपमान किया, जिससे देवी क्रोधित हो गईं। और देवी ने इतनी भयंकर ओलावृष्टि भेजी कि उसने रूपकुंड झील के पास पूरे समूह को नष्ट कर दिया।

कंकालों की खोपड़ी पर पाए गए फ्रैक्चर इस कहानी से मेल खाते हैं। सालों तक, कई लोग मानते थे कि ओले क्रिकेट की गेंद के आकार के थे, जो तूफान में फंसे लोगों को जानलेवा चोटें पहुँचाते थे।

भविष्य पीढ़ियों के लिए रूपकुंड झील की रक्षा(Protecting Roopkund Lake for Future Generations)

यहाँ के स्थानीय लोगों ने इस झील की रक्षा के लिए कदम उठाए हैं। यहाँ के पर्यटकों के बारे में भी कुछ बातें हैं कि कुछ पर्यटक यहाँ से हड्डियाँ भी ले जाते हैं, जो कि क्यों और किसलिए, यह अब तक किसी को पता नहीं है। और इसके कारण यहाँ के स्थानीय लोग इस झील की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं ताकि यह आने वाली पीढ़ियों तक लोगों तक पहुँच सके।

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